Aesop | Greece
प्यासा कौआ
प्यासा कौवा कंकड़ डालकर मटके में पानी का स्तर बढ़ाता है और अपनी प्यास बुझाने में सफल होता है।

एक सूखे इलाके में एक कौवा बहुत प्यासा था और पानी की खोज कर रहा था। वह इधर-उधर उड़ता रहा और अंततः उसे एक मटका दिखा जिसमें हल्का सा पानी था, जो मटके की तली में था।
कौवे ने पानी पिने के लिए अपनी चोंच मटके में डाली। लेकिन मटका बहुत गहरा और संकरा था, जिससे कौवा पानी तक नहीं पहुँच सका। उसने कई बार प्रयास किया पर सफल नहीं हो पाया।
कौवे ने मटके को पलटने का विचार किया ताकि पानी बाहर आ जाए, पर मटका रेत में फंसा हुआ था, इसलिए यह संभव नहीं था।
पानी पीने की इच्छा अब भी थी, इसलिए कौवे ने एक उपाय लगाया। उसने मटके के पास कुछ छोटे-छोटे कंकड़ देखे। कौवे ने अपनी चोंच से एक कंकड़ उठाया और मटके में डाल दिया।
हर कंकड़ से पानी थोड़ा-थोडा ऊपर उठने लगा। कौवा कंकड़ डालता रहा और धीरे-धीरे पानी का स्तर इतना बढ़ गया कि वह उसे पी पाया।
अंततः कौवा पानी पीने में सफल हुआ। उसे अपनी चतुराई पर अत्यंत प्रसन्नता और गर्व का आभास हुआ।
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